स‍िंदूर हर सुहागन मह‍िला का एक बेहद खूबसूरत श्रृंगार है. लेकिन ह‍िंदू धर्म में ये महज श्रृंगार की चीज नहीं है. बल्‍कि स‍िंदूर का एक शादीशुदा मह‍िला के जीवन में बहुत महत्‍व माना गया है. व‍िवाह के समय सारी व‍िध‍ियों के बीच दूल्‍हा, दुल्‍हन की मांग स‍िंदूर से भरता है और उसे मंगलसूत्र पहनाता है. व‍िवाह के दौरान भरी गई मांग और मंगलसूत्र को सुहागन मह‍िलाएं आजीवन पहनती हैं. लेकिन क्‍या आप जानते हैं स‍िंदूर लगाने का सही तरीका क्‍या है? मांग में स‍िंदूर लगाने की सही व‍िध‍ि आज से 900 साल पहले बने एक मंदिर में व‍िध‍िवत बताई गई है.

ओडीशा के कोर्णांक मंदिर को यूनेस्‍को ने वर्ल्‍ड हेर‍िटेज सेंटर में शामिल क‍िया है. पुरी के न‍िकट बना ये मंदिर स्‍थापत्‍य कला और प्राचीन आर्किटेक्‍ट का एक ऐसा नमूना है, ज‍िसे देखकर वैज्ञान‍िक भी दंग रह जाते हैं. 13वीं शताब्‍दी में बने इसी मंदिर की दीवारों पर मह‍िलाओं के श्रृंगार से जुड़ी कुछ अहम कलाकृतियां बनाई गई हैं. इस मंदिर की दीवार पर बनी एक प्रतिमा सुहागन मह‍िलाओं को स‍िंदूर लगाने का सही तरीका भी बताती है. सूर्य के इस मंदिर में उनके ही पुत्र शनि की कुदृष्‍ट‍ि से सुहागनों को बचाने का सही तरीका बताया गया है.

क्‍या है सिंदूर लगाने का सही तरीका
अक्‍सर व‍िवाह‍ित मह‍िलाएं स‍िंदूर ड‍िब्‍बी से लेकर अपनी मांग में हाथ आगे से शुरू कर पीछे की तरफ लगाती हैं. दरअसल ये तरीका गलत है. यदि स‍िंदूर लगाते हुए आपके माथे पर हाथ की छाया (परछाई बने) आए तो ये गलत होता है और इससे शनि का कुप्रभाव आपको झेलना पड़ता है. इसल‍िए जब भी महि‍लाएं स‍िंदूर लगाएं उन्‍हें सीधे हाथ से स‍िंदूर लगाना चाहिए और हाथ को चेहरे के पीछे की तरफ ले जाकर स‍िंदूर आगे से पीछे की तरह खींचना चाहिए. स‍िंदूर लगाते वक्‍त आपका हाथ आपके चेहरे को न ढकें.

स‍िंदूर हर सुहागन मह‍िला का एक बेहद खूबसूरत श्रृंगार है. लेकिन ह‍िंदू धर्म में ये महज श्रृंगार की चीज नहीं है. बल्‍कि स‍िंदूर का एक शादीशुदा मह‍िला के जीवन में बहुत महत्‍व माना गया है. व‍िवाह के समय सारी व‍िध‍ियों के बीच दूल्‍हा, दुल्‍हन की मांग स‍िंदूर से भरता है और उसे मंगलसूत्र पहनाता है. व‍िवाह के दौरान भरी गई मांग और मंगलसूत्र को सुहागन मह‍िलाएं आजीवन पहनती हैं. लेकिन क्‍या आप जानते हैं स‍िंदूर लगाने का सही तरीका क्‍या है? मांग में स‍िंदूर लगाने की सही व‍िध‍ि आज से 900 साल पहले बने एक मंदिर में व‍िध‍िवत बताई गई है.

ओडीशा के कोर्णांक मंदिर को यूनेस्‍को ने वर्ल्‍ड हेर‍िटेज सेंटर में शामिल क‍िया है. पुरी के न‍िकट बना ये मंदिर स्‍थापत्‍य कला और प्राचीन आर्किटेक्‍ट का एक ऐसा नमूना है, ज‍िसे देखकर वैज्ञान‍िक भी दंग रह जाते हैं. 13वीं शताब्‍दी में बने इसी मंदिर की दीवारों पर मह‍िलाओं के श्रृंगार से जुड़ी कुछ अहम कलाकृतियां बनाई गई हैं. इस मंदिर की दीवार पर बनी एक प्रतिमा सुहागन मह‍िलाओं को स‍िंदूर लगाने का सही तरीका भी बताती है. सूर्य के इस मंदिर में उनके ही पुत्र शनि की कुदृष्‍ट‍ि से सुहागनों को बचाने का सही तरीका बताया गया है.

क्‍या है सिंदूर लगाने का सही तरीका
अक्‍सर व‍िवाह‍ित मह‍िलाएं स‍िंदूर ड‍िब्‍बी से लेकर अपनी मांग में हाथ आगे से शुरू कर पीछे की तरफ लगाती हैं. दरअसल ये तरीका गलत है. यदि स‍िंदूर लगाते हुए आपके माथे पर हाथ की छाया (परछाई बने) आए तो ये गलत होता है और इससे शनि का कुप्रभाव आपको झेलना पड़ता है. इसल‍िए जब भी महि‍लाएं स‍िंदूर लगाएं उन्‍हें सीधे हाथ से स‍िंदूर लगाना चाहिए और हाथ को चेहरे के पीछे की तरफ ले जाकर स‍िंदूर आगे से पीछे की तरह खींचना चाहिए. स‍िंदूर लगाते वक्‍त आपका हाथ आपके चेहरे को न ढकें.