एलओसी पर बॉर्डर ग्रिड बनेगा पाकिस्तानी घुसपैठियों के लिए काल
जम्मू । जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की नई रणनीति को विफल करने के लिए सीमा पर बॉर्डर ग्रिड को अपग्रेड किया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक चीन की ओर से पाकिस्तानी घुसपैठियों की मदद के लिए उच्च तकनीकी से लैस ऐसी वर्दी दी जा रही है, जिनको लोरोस (लॉन्ग रेंज ऑब्जरवेशन सिस्टम) और ड्रोन भी नहीं पकड़ पाते। ऐसे घुसपैठियों को पकड़ने के लिए बॉर्डर ग्रिड में तकनीकी अपग्रेड करने पर फोकस किया जा रहा है। डिटेक्शन उपकरणों को अपग्रेड कर ग्रिड का हिस्सा बनाया गया है। साथ ही कई चरणों में जवानों की तैनाती को भी बढ़ाया गया है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक बॉर्डर ग्रिड को लगातार मजबूत किया जा रहा है। इसकी वजह से घुसपैठियों को भारतीय सीमा में प्रवेश करने पर एक किमी से लेकर तीन किलोमीटर के अंदर ही मार गिराया जाता है। अधिकारी ने कहा कि सीमा पर तकनीकी उपकरण और फिजिकल तैनाती को एक साथ मिलाकर विभिन्न एजेंसियों के साथ बॉर्डर ग्रिड को घुसपैठ रोकने में कारगर पाया गया है। सूत्रों के मुताबिक जो भी नई चुनौती सामने आती है उसके मुताबिक नया तकनीकी प्रयोग एजेंसियां कर रही हैं। सीमा पर तैनात बीएसएफ के साथ अंदर सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस के साथ आईबी और अन्य खुफिया तंत्र से जुड़ी एजेंसियों के समन्वय से बहुस्तरीय सूचना तंत्र बनाया गया है। इससे सही समय पर सूचना हासिल कर पूरे समन्वय से उचित समय पर प्रतिक्रिया दी जा सके। सीमा पर मोनोकुलर डिवाइस विपरीत दिशा में सीमा पार तीन किलोमीटर तक की गतिविधियों को पकड़ लेती हैं। साथ ही लोरोस, थर्मल इमेज, सैटेलाइट इमेज और ड्रोन से भी आतंकी गतिविधि को पकड़ लिया जाता है। वास्तविक सूचना के आधार पर आतंकियों के खिलाफ पूरी बॉर्डर एक्शन टीम प्रतिक्रिया देती है। ऑपरेशन में सेना, बीएसएफ के अलावा सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियां शामिल होती हैं। बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा का कहना है कि बॉर्डर ग्रिड की मजबूती से घुसपैठ रोकने में बहुत प्रभावी मदद मिली है, लेकिन पाकिस्तान चीन की मदद से नई चुनौती पेश करता रहता है। इस लिहाज से लगातार ग्रिड की मजबूती पर काम हमारी एजेंसियां कर रही हैं।